1000 सिनेमाहॉल बंद हो सकते हैं; 3 साल में OTT पर 50 करोड़ सब्सक्राइबर्स होंगे

दिपाली पोरवाल कानपुर की रहने वाली हैं। कहती हैं जब कभी खाली समय होता है अपने टीवी सीरियल्स देख लेती हूं। कभी ऑटो रिक्‍शे में तो कभी खाने की टेबल पर। कई बार तो ऐसा हुआ है कि मेरे सामने टीवी चलता रहा है और मैं मोबाइल पर आगे की कहानी देखने लगती हूं, क्योंकि मोबाइल पर अगले दिन का एपिसोड भी आ जाता है।

रोहित मिश्र रायबरेली के रहने वाले हैं। बताते हैं कि उन्होंने छह महीने से अपने टीवी का रिचार्ज नहीं कराया है। बिहार चुनाव, आईपीएल, इंडिया ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट सीरीज अब वह लैपटॉप और मोबाइल पर देख रहे हैं। वे ज्यादातर नई रिलीज फिल्में शुक्रवार को सिनेमाघर में देखते हैं। उन्हें फिल्मों पर लिखना और बातें करना पसंद है। इसलिए वो अब भी फिल्मों के लिए सिनेमाघर ही जाएंगे। लेकिन एक शर्त रखते हैं, अगर फिल्में सिनेमाघर और OTT (ओवर द टॉप) पर एक साथ रिलीज हों तब वे इक्का-दुक्का फिल्मों के लिए सिनेमाघर जाएंगे।

ये दोनों बातें दिसंबर 2020 की हैं। ओटीटी पर इसी तरह की एक बात फरवरी 2020 में हुई। मैंने अपनी एक खबर की हेडलाइन में OTT लिखा। इस पर मेरी एक साथी भड़क गईं, बोलीं- लोग OTT नहीं समझते, ये क्या है? मैंने कहा, ओवर द टॉप, डिजिटल प्लेटफॉर्म। कहने लगीं, सब तुम्हारी तरह पत्रकारिता थोड़ी करते हैं। मैंने कहा, आप मोबाइल पर बिग बॉस, केबीसी देखती हैं? बोलीं- हां। पूछा-कैसे? बोलीं- ऐप है मेरे मोबाइल में। मैंने कहा- यही है OTT।

हाल ही में उनसे OTT पर दोबारा बात हुई। बोलीं- गाड़ी ड्राइव कर के जाओ, पेट्रोल फूंको, पार्किंग का पैसा, 300 का टिकट, पॉपकॉर्न, एक मूवी पर 1500 का खर्च था। इतने में तो OTT पर बॉलीवुड-हॉलीवुड कितनी फिल्में देख लूं। वो भी रजाई में बैठ कर अपनी बनाई चाय की चुस्की लगाते हुए।

मैं ठहरा रहा, जमीं चलने लगी...
दीपाली पोरवाल, रोहित मिश्र और साथी महिला पत्रकार ने टीवी, सिनेमा देखना बंद नहीं किया है, आदत बदल दी है। अब इस आदत के चक्कर में क्या-क्या हो रहा है। आइए जरा तफसील से तफ्तीश करते हैं...

2012-13 में ही ओटीटी प्लेटफॉर्म 'डिट्टो टीवी', 'इरॉस नाऊ', 'स्पुल', 'बिगफ्लिक्स', 'सोनी लिव' लॉन्च हो गए थे। उस साल आईपीएल भी ओटीटी प्लेटफॉर्म 'नेक्सजीटीवी' पर लाइव हुआ था। लेकिन भारत के आम दर्शक ने 'आईपीएल', 'सेक्रेड गेम्स' और 'मिर्जापुर' के लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म डाउनलोड किए। जब डाउनलोड कर लिए तो सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म 'दिल बेचारा' को 7.5 करोड़ से ज्यादा लोगों ने देखा।

हिन्दी के अलावा मराठी, तमिल, तेलुगु, बंगाली, पंजाबी समेत दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं में वीडियो स्ट्रीमिंग, म्यूजिक, पॉडकास्ट वाले 95 से ज्यादा OTT प्लेटफॉर्म लॉन्च हो चुके हैं। यहां तक कि 'हुलू' अभी इंडिया में नहीं आया है। लेकिन इंडिया का दर्शक डीएनएस, वीपीएन का जुगाड़ लगा के चोरी से इसे देख रहे हैं।

टीवी व फिल्म ट्रेड एनलिस्ट सलिल कुमार अंड कहते हैं टीवी की TRP एकदम धड़ाम हो चुकी है। अमिताभ बच्चन-आयुष्मान खुराना, आलिया भट्ट, अक्षय कुमार, वरुण धवन अपनी फिल्में OTT पर ला रहे हैं। यानी सबको फ्यूचर समझ आ गया है। अब OTT ही चारा है।

कितनी हसरत है हमें, तुमसे दिल लगाने की...
केपीएमजी ने अपनी एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि 2023 तक इंडिया में OTT पर वीडियो के सब्सक्राइबर्स 50 करोड़ से ज्यादा हो जाएंगे। वरिष्ठ फिल्म पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज कहते हैं कि इंडिया में कुल इतने ही सिनेमाघर हैं कि बाहुबली जैसी फिल्म को करीब 5 करोड़ लोगों ने ही सिनेमाघर में देखा था।

ट्रेड एनॉलिस्ट बताते हैं, अब तक प्रचार के लिए आने वाले 100 रुपए में से 60 रुपए टीवी, 30 रुपए डिजिटल और 10 रुपए इधर-उधर जाता था। लेकिन अगले तीन साल में ये आंकड़ा उलटने वाला है। डिजिटल यानी OTT पर प्रचार के लिए 60 फीसदी पैसे आएंगे। बड़े-बड़े स्टार OTT पर अपनी फिल्मों के प्रचार के लिए जाएंगे।

3 साल बाद OTT का बाजार करीब 12 हजार करोड़ का होगा
पीडब्‍ल्यूसी की रिपोर्ट कहती है कि भारत में OTT का बाजार 2018 में केवल 4,464 करोड़ का था। 2023 में 11,976 करोड़ रुपए का हो जाएगा। सीधा-सा मतलब है या तो प्रोड्यूसर्स को OTT की डिमांड समझनी होगी या फिर वे इंडस्ट्री से बाहर होने लगेंगे। सलिल कुमार अंड सीधे कहते हैं कि आने वाले दिनों में सिनेमा और टीवी के कई दुकानदारों की दुकान बंद होने वाली है।

दूसरी ओर जिस तरह से केबीसी और बिग बॉस की टीआरपी लगातार नीचे आई है, टीवी प्रोड्यूसर इन्हें ज्यादा दिनों तक नहीं खींच पाएंगे। ऐसा भी हो सकता है शो से हो रहे नुकसान की भरपाई सलमान खान और अमिताभ बच्चन को हटाकर कर ली जाए। इसके पीछे सीधी-सी वजह लोगों का OTT की ओर बढ़ जाना है।

अजय ब्रह्मात्मज का मानना है कि लोग पहले से ही मोबाइल पर सिनेमा देखने लगे थे। आए दिन फिल्में लीक होने की खबरें आती थीं। सिनेमाघर पहले ही बंद हो रहे थे। जब मैं पटना में रहता था तो 20 से ज्यादा सिनेमाघर हुआ करते थे। अब कुछ चार-पांच बचे हैं। बीते दिनों हैदराबाद और कई जगहों से तेजी से सिंगल स्क्रीन सिनमाघरों के बंद होने की खबरें हैं। आने वाले दो सालों में 1000 से ज्यादा सिनेमाघर बंद होने की आशंका हैं।

चुरा लिया है तुमने जो दिल को, नजर नहीं चुराना सनम...
मार्केट रिसर्च वाली कई कंपनियों के सर्वे और ट्रेड एनालिस्ट OTT ‌का गुणगान कर रहे हैं। लेकिन वरिष्ठ पत्रकार दिनेश श्रीनेत कहते हैं, 'OTT ने पूरी ताकत ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने में झोंक दी है। खूब एक्सपेरिमेंट हो रहे हैं। लेकिन याद रखने वाला कंटेंट अभी नहीं बन रहा।' वरिष्ठ फिल्म पत्रकार अनुपमा चोपड़ा कहती हैं कि ओटीटी के कारण लोगों के जेहन में घर कर जाने वाला सिनेमा खोता जा रहा है। लोग अपनी सहूलियत से टुकड़ों में फिल्में देख रहे हैं।

OTT प्लेटफॉर्म से चर्चा में आए एक्टर अमोल पाराशर कहते हैं कि यहां किसी को जबरन कुछ नहीं दिखाया जा सकता। कंटेंट में दम होगा तभी लोग पूरा देखेंगे। नहीं तो ऑडियंस आधे में बंद कर के आगे बढ़ जाएगी।

ऐसे में OTT की सबसे बड़ी चुनौती ये है कि सिनेप्रेमियों की थाली में कई तरह के पकवान परोसने के साथ बेहतरीन स्वाद पर ध्यान लगाए। बहरहाल, अभी OTT पर तीन खास किस्म का कंटेंट है। पहला, दुनियाभर में पहले से बने टीवी शो, वेब शो, फिल्‍में। इन्हें डब कर के अलग-अलग भाषाओं में दिखाया जा रहा है। दूसरा, ओरिजिनल्स, इसमें नई फिल्में और नए शोज बन रहे हैं। तीसरा, म्यूजिक और पॉडकास्ट।

पैसा वसूल शो
OTT प्लेटफॉर्म की कमाई का मुख्य जरिया सब्सक्रिप्शन से आने वाले पैसे हैं। इसके अलावा वीडियो के बीच में विज्ञापन दिखाकर पैसे कमाए जाते हैं। सब्सक्रिप्‍शन लेने के बाद अलग-अलग समय में एक से अधिक लोग उसका इस्तेमाल करते हैं। कई सब्सक्रिप्‍शन प्लान ऐसे हैं जिन्हें दोस्तों के साथ मिलकर भी लोग लेते हैं। लोगों से मिलने वाले पैसों से OTT अपने लिए सर्वर पर स्पेस खरीदता है। इसके अलावा जिनसे कंटेंट खरीदता है, उन्‍हें पैसे देता है। बीच में खबरें आई थीं कि रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण स्टारर फिल्म 83 को खरीदने के लिए OTT 100 करोड़ तक देने को तैयार थे।

OTT के लिए कोरोना है पॉजिटिव
इरॉस नाऊ के सीईओ अली हुसैन कहते हैं हमने अचानक इतने यूजर आने का अंदाजा नहीं लगाया था। हमने जितनी बढ़ोतरी की उम्मीद 2022 के अंतिम महीनों तक की थी, उतने लोग 2020 खत्म होने से पहले ही आ गए। हमें इसके अभी और बढ़ने की उम्मीद है।

आजा मेरी गाड़ी में बैठ जा...
OTT ने हिन्‍दी, अंग्रेजी से ज्यादा इन दिनों भारत की क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेंट देने पर जोर लगाया है। इस वक्त मुख्य रूप से करीब 40 वीडियो स्ट्रीमिंग वाले OTT प्लेटफॉर्म में 35 क्षेत्रीय भाषाओं वाले कंटेंट दे रहे हैं।

लॉकडाउन में बेतहाशा नौकरियां गईं हैं, सैलरी काटी गई है। वे नौकरी‌शुदा लोग जो पांच-छह दिन काम से हुई थकावट मिटाने सिनेमाघर जाते थे, उनकी संख्या कम हो जाएगी। OTT ने DTH को करीब-करीब खत्म होने की कगार पर ढकेल दिया है। ऐसे में आने वाले दिनों में OTT एंटरटेनमेंट की दुनिया का सबसे ताकतवर खिलाड़ी बनने जा रहा है।



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1000 cinema halls may be shut down, TV's TRP block, 50 crore will subscribe to OTT platform


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